CHAPTER: 1. बहादुर (पाठांत प्रश्न — उत्तर)
NIOS Class-10 GUIDE of HINDI Subject (CODE: 201)
प्रश्न 1. वाचक के लिए नौकर रखना किन कारणों से आवश्यक था? आपकी दृष्टि में क्या वे कारण उचित थे? उल्लेख कीजिए।
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प्रश्न 2. बहादुर कहानी के आधार पर मध्यवर्गीय परिवार की कुछ प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
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प्रश्न 3. जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी तो वह क्या करता था?
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प्रश्न 4: बहादुर और किशोर के व्यवहार में अंतर के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
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प्रश्न 5: निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:
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प्रश्न 6: बहादुर के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए।
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प्रश्न 7: बहादुर कहानी की भाषा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
1. संवादों की स्वाभाविकता और पात्रों के अनुकूल भाषा
बहादुर, पहाड़ी और नेपाली पृष्ठभूमि से आया है, इसलिए उसकी हिंदी में हल्का क्षेत्रीय प्रभाव है—जैसे "तकलीफ़ बढ़ जाएगा", "माता जी" कहना, या "मैं नहीं बनाऊँगा" जैसी मासूमियत भरी ज़िद।
निर्मला, एक घरेलू मध्यवर्गीय महिला की तरह बोलती है—भावनात्मकता के साथ अपने काम का दुख प्रकट करती है: “मैं दूसरी औरतों की तरह नहीं हूँ, जो नौकर-चाकर को तलती-भूनती हैं।”
किशोर, के संवादों में अधिकार, क्रोध और अभद्रता है—“हुलिया टाइट कर दूँगा।”
रिश्तेदारों, की अंग्रेज़ी मध्यवर्गीय दिखावे और वर्गभेद को गहराई से दर्शाती है।
2. मिश्रित शब्द-चयन: तत्सम, तद्भव, देशज, आगत शब्दों का प्रयोग
कहानी में विविध भाषाई स्रोतों से लिए गए शब्दों का सुंदर संतुलन है—
तत्सम शब्द: जैसे गंभीर, दायित्व, संतुष्टि, प्रफुल्लता, जो भाषा को औपचारिकता और गहराई देते हैं।
तद्भव शब्द: आँखें, खेत, घर—बोलचाल में सहजता लाते हैं।
देशज शब्द: खटना, बँसखट, पुलई, चकइठ—स्थानीय रंग और यथार्थ से जोड़े रखते हैं।
आगत शब्द: तकलीफ़, फ़रमाइश, शान-शौकत, हुलिया—शहरी मध्यवर्गीय संवादों को प्रतिबिंबित करते हैं।
यह मिश्रण कहानी को भाषाई विविधता देता है और पात्रों की सामाजिक स्थिति को वास्तविक बनाता है।
3. शैलीगत विशेषताएँ: आत्मकथात्मकता और रेखाचित्र शैली
कहानी वाचक के व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है। वह पाठकों से सीधे संवाद करता है, जैसे वह उन्हें अपनी गलती और पछतावा सुना रहा हो। यह आत्मकथात्मक शैली कहानी को आत्मीयता और गहराई देती है।
साथ ही, लेखक बहादुर का पूरा रेखाचित्र प्रस्तुत करता है—उसके कपड़ों, चेहरे, बोलचाल, हँसी, गानों और जेब में रखी चीज़ों से। यह रेखाचित्र शैली पात्र को पूर्ण रूप से जीवंत बनाती है।
4. व्यंग्य और सामाजिक टिप्पणी
लेखक जगह-जगह पर मध्यवर्गीय सोच पर तीखे व्यंग्य करते हैं, जैसे वाचक द्वारा निर्मला की बातों का वर्णन इस तरह करना—“अभागिन और दुखिया स्त्री”—जो निर्मला की सोच को थोड़ा तिरछा दिखाता है। अंग्रेज़ी संवादों और सामाजिक दिखावे पर भी लेखक ने व्यंग्यात्मक दृष्टि से लिखा है।
5. मुहावरों और लोक-प्रचलित वाक्यांशों का प्रयोग
कहानी में कई जीवंत मुहावरे हैं—चारपाई तोड़ना, हाथ बँटाना, नौ दो ग्यारह हो जाना, फिरकी की तरह नाचना, हुलिया टाइट करना, आदि। ये वाक्यांश संवादों को मज़बूती देते हैं और भाषा को जन-सुलभ बनाते हैं।
निष्कर्ष
कहानी “बहादुर” की भाषा न केवल कथ्य को बल देती है, बल्कि पात्रों की सोच, समाज की संरचना, और लेखक की भावनाओं को प्रभावशाली रूप में पाठकों तक पहुँचाती है। यह भाषा शिक्षकों के लिए पढ़ाने योग्य और छात्रों के लिए आत्मसात करने योग्य बन जाती है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिएः—
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प्रश्न 9: निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज और आगत शब्दों को छाँटिए — संतुष्टि, खेत, मलकाना, तकलीफ़, स्वच्छ, पेड़, शहर, तनख़्वाह।
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Reference
1. NIOS BOOKS
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