CHAPTER: 1. बहादुर (पाठांत प्रश्न — उत्तर)
NIOS Class-10 GUIDE of HINDI Subject (CODE: 201)
प्रश्न 1. वाचक के लिए नौकर रखना किन कारणों से आवश्यक था? आपकी दृष्टि में क्या वे कारण उचित थे? उल्लेख कीजिए।
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प्रश्न 2. बहादुर कहानी के आधार पर मध्यवर्गीय परिवार की कुछ प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
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प्रश्न 3. जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी तो वह क्या करता था?
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प्रश्न 4: बहादुर और किशोर के व्यवहार में अंतर के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
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प्रश्न 5: निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:
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प्रश्न 6: बहादुर के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: कहानी “बहादुर” का केंद्रीय पात्र, बहादुर, एक किशोर है जो अपने घर से भागकर शहर आता है और एक मध्यवर्गीय परिवार में घरेलू काम करने लगता है। उसकी उम्र मात्र बारह-तेरह वर्ष है, लेकिन उसका व्यक्तित्व असाधारण गहराई और भावनात्मक परिपक्वता का परिचय देता है। लेखक अमरकांत ने बहादुर को केवल एक घरेलू नौकर के रूप में नहीं प्रस्तुत किया, बल्कि एक सजीव, सोचने-समझने वाले और महसूस करने वाले बाल पात्र के रूप में उभारा है।
1. संवेदनशीलता और भावुकता
बहादुर अत्यंत संवेदनशील और भावनात्मक रूप से गहराई वाला चरित्र है। वह छोटी-छोटी बातों को महसूस करता है—जैसे रोटियाँ न बनाने पर उसका मुँह उतर जाता है, उसे गाली देने पर काम करने से इनकार कर देता है, और निर्दोष होने के बावजूद थप्पड़ खाने से वह भीतर तक टूट जाता है। उसका यह व्यवहार दिखाता है कि वह भावुक तो है, लेकिन आत्मसम्मान से भी भरा है।
2. मेहनती और ईमानदार
कहानी में बहादुर अपने काम के प्रति अत्यंत लगनशील दिखाया गया है। वह सुबह से रात तक घर के अनेक काम करता है—साफ़-सफाई, दातून लाना, चाय बनाना, कपड़े धोना, बर्तन माँजना। उसकी ईमानदारी उस समय स्पष्ट होती है जब वह खोए हुए पैसों को खुद उठाकर निर्मला को देता है और खुद पर लगे चोरी के झूठे आरोप को पूरी दृढ़ता से नकारता है।
3. भावनात्मक जुड़ाव और कर्तव्य-बोध
वह निर्मला को "माता जी" कहता है और उसकी तबीयत का ख्याल रखता है। जब वह पूछती है कि माँ को पैसे क्यों भेजता है, तो उसका उत्तर—“माँ-बाप का कर्ज़ा तो जन्म भर भरा जाता है”—उसके भीतर के संस्कार और जिम्मेदारी की भावना को दर्शाता है। वह खुद को परिवार से अलग नहीं मानता, और यह भावनात्मक जुड़ाव उसके चरित्र की एक महान विशेषता है।
4. आत्मसम्मान और स्वाभिमान
बहादुर आत्मसम्मान से परिपूर्ण है। जब किशोर उसे “सूअर का बच्चा” कहता है, तो वह काम करने से साफ़ इनकार कर देता है क्योंकि उसे अपने पिता के प्रति अपमान सहन नहीं होता। इसी प्रकार, जब निर्मला बहादुर को रोटियाँ अलग बनवाने के लिए कहती है, तो वह विरोध स्वरूप भूखा सो जाता है—एक बच्चा होते हुए भी उसका स्वाभिमान उसे चुप रहकर प्रतिरोध करने की ताक़त देता है।
5. अकेलापन और सांस्कृतिक स्मृति
रात को बहादुर अपनी नेपाल की टोपी पहनकर पहाड़ी गीत गाता है और अपने जेब के खजाने—ताश की गड्डी, पत्थर, नावें—निकालकर खेलता है। ये वस्तुएँ उसकी पहचान, उसकी स्मृतियाँ और उसका अतीत हैं। उसकी पहाड़ी गानों की “मीठी उदासी” हमें यह याद दिलाती है कि हर नौकर के पीछे एक जीवन होता है, एक संस्कृति होती है, एक कहानी होती है।
निष्कर्ष
बहादुर केवल एक श्रमिक नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण इंसान है—भावुक, कर्मठ, ईमानदार और आत्मगौरव से युक्त। वह समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है जिसे अक्सर केवल “काम के लिए” देखा जाता है, लेकिन जिसके भीतर समानुभूति, साहस और आत्म-संवेदनाएं उतनी ही सजीव होती हैं जितनी किसी और के। कहानी में बहादुर का अंत—सभी सामान छोड़कर चला जाना—हमें यह सिखाता है कि सम्मान न देने पर सबसे नेक पात्र भी दूर चला जाता है, और पीछे सिर्फ पछतावा रह जाता है।
प्रश्न 7: बहादुर कहानी की भाषा की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
प्रश्न 8: निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिएः—
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प्रश्न 9: निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज और आगत शब्दों को छाँटिए — संतुष्टि, खेत, मलकाना, तकलीफ़, स्वच्छ, पेड़, शहर, तनख़्वाह।
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Reference
1. NIOS BOOKS
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